नागिन सीरियल की शुरुआत होती है शलाका एक शीशी दिखाते हुए वैष्णवी से कहती है कि इस सीसी में एक द्रव्य है, इस सीसी में मैं जो कुछ भी कहूंगी देव वैसा ही करेगा | देव पूरी तरह से मेरे बस में है और देव के शरीर से टच कर कर मैंने उसकी आत्मा भी खींच ली है | वैष्णवी कहती है तुम्हें ऐसा 4 बार करना पड़ेगा| शलाका कहती है हां आप बहुत ही समझदार हैं | सासुमा मुझे ऐसा 4 बार करना पड़ेगा और उसके बाद नागमणि हमें मिल जाएगी और नागमणि हमें मिलते ही देव की आत्मा को फिर से इस में डालना पड़ेगा | शलाका सोचती है उसके बाद नागमणि मेरी और नागमणि मिलने के बाद सभी की मौत| देव की बहन देर से पूछती है कि भाई आप क्या सोच रहे हो| देव कहता है कि मैं एक नई जिंदगी की शुरुआत करने की सोच रहा हूं और फिर वह वृंदा के साथ बिताए हुए पलों को याद करता है| उसी समय वृंदा वहां आती है| बाकी सब शादी की तैयारियों में लगे होते हैं| वृंदा कहती है क्या मैं कोई सहायता कर सकती हूं, देव उसे अपने पास बैठने का इशारा करता है| बृंदा उसके पास बैठने जा ही रही होती है कि सलाहकार टकराकर उससे और देव के पास बैठ जाती है और कहती है कि मेरे चोट लग गई | देव कहता है तुम ठीक तो हो| शलाका कहती है मुझे चोट खाने की आदत पड़ गई है , लेकिन अब मैं संभल कर चला करूंगी| सभी शादी की तैयारियां कर रहे हैं और तुमने मुझे बुलाया तक नहीं |
देव की बहन कहती है कि संगीत की तैयारी भी करनी है| बृंदा कहती है हां उसके लिए हमें गाने भी तैयार करने होंगे | वृंदा कहती है हम लोग कपल डांस करेंगे| वृंदा चालाकी से शलाका को वहां से उठा देती है और खुद के पास बैठ जाती है| वृंदा कहती है कि अभी तो तुम्हारे पैर में दर्द और तुम डांस के लिए तैयार हो गई कपल डांस | मेरा मतलब था कि सिद्धार्थ और लिली कोई बात नहीं, वृंदा सोचती है कि मैं सलाहकार से तो बाद में निपट लूंगी लेकिन पहले मुझे देव के पॉकेट में यह पत्थर डालना है| वह भी सब की नजर से छुपा कर| देव कहता है मैं अभी थोड़ी देर पहले लिली से कुछ कह रहा था ,वह मुझे तुमसे भी कहना है| वह कुछ कहता उससे पहले ही शलाका उसी सी के सामने बोलती है कि मुझे ऐसा लगता है कि मुझे ट्राई कर लेना चाहिए और शलाका को भी देखना है कि उसे चोट तो नहीं लगी, यही बात देव रिपीट कर देता है| बृंदा सोचती है कि देव ऐसे क्यों बात कर रहा है अभी तो वह कुछ कह रहा था और फिर देव वहां से चला जाता है| शलाका देव को ट्राई करने के बहाने उस सीसी से उसके शरीर को टच करती है, फिर से उसकी आत्मा शीशी में लेती है | देव को फिर से कुछ उलझन सी महसूस होती है| देवकी आंखें रेड होती हैं, शलाका यह सब शीशे में देखती है, तो वह परेशान हो जाती है | फटाफट दूसरा कोर्ट से तैनाती है उसका कलर भी छोटा होता है, वह सोचती है कि यह निशान तो देव की गर्दन से दिखाई दे रहा है| उसी समय बृंदा वहां आती है, वृंदा को समझ में नहीं आता है कि देव ऐसा क्यों कह रहा था और मैं इस समय ऐसा क्यों बिहेव कर रहा है| बे कुछ बोलता ही नहीं है| शलाका उससे कहती है कि तुम जाओ जाकर कमरे में आराम करो | शलाका के कहने पर कमरे की तरफ चल देता है| बृंदा उसके पीछे जाती है और उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे बुलाती है और कहती है कि हम लोग गाना सेलेक्ट कर रहे हैं, क्या तुम आओगे | देव कहता है हां बिल्कुल क्यों नहीं | शलाका डर से भाग जाती है| रास्ते में उसे वैष्णवी मिलती है| वैष्णवी कहती है तुमने देव की आत्मा द्वारा निकाली क्या | शलाका कहती है हां मैंने निकाली लेकिन इस बार पता नहीं क्या हो गया , देव की आंखें बिल्कुल लाल हो गई थी | मुझे देव बिल्कुल सही सलामत चाहिए |
वैष्णवी कहती है मुझे भी मेरा बेटा बिल्कुल सही सलामत चाहिए, वैष्णवी कहती है चलो चल कर देखते हैं| दोनों देखने आते हैं तो देव वृंदा के साथ डांस कर रहा होता है| वैष्णवी कहती है यह मेरे बेटे को कभी नहीं छोड़ेगी , तुम नीचे जाओ और उसे अपने बस में कर लो | शलाका कहती है वह तो मैं यहां से भी कर सकती हूं | देव कहता है मुझे तुमसे कुछ कहना है| डांस करते-करते वृंदा वह पत्थर देव के जेब में डाल देती है | इधर शलाका किसी के आगे कहती है कि मुझे ऑफिस का कुछ काम है, मुझे जाना होगा लेकिन इस बार देव पर कोई फर्क नहीं पड़ता | वह बार-बार बोलकर ट्राई करती है, लेकिन देव पर कोई असर नहीं होता| शलाका सोचती है ऐसा कैसे हो रहा है| वैष्णवी कहती है तुम्हारा जादू असर क्यों नहीं कर रहा है, देव यहां से चला गया है और तुम भी यहां से चलो और मुझे अपना पूरा प्लान समझाओ | शलाका कहती है मैं देव से दूर थी शायद इसीलिए काम नहीं कर रहा\ उसकी सांस कहती है मुझे सारा प्लान समझाओ | शलाका अपने पेंडल को आगे करके कहती है मुझे देव का कमरा दिखाओ उसके कमरे में क्या हो रहा है, मुझे दिखाओ | सभी देव का पूरा कमरा उसके सामने दिखने लगता है| वैष्णवी कहती है यहां तो कोई भी नहीं है, शलाका कहती है नहीं यहां पर नागिन है| वृंदा तैयार होकर देव को फोन करती है और कहती है, मैं तैयार हूं, मैं आ रही हूं शलाका को गुस्सा आता है, वह अपने पेंडल को आगे करके कहती है कि देव को दिखाओ , देव क्या कर रहा है, तो वे देखती है कि देव ने एक बहुत ही अच्छा अरेंजमेंट वृंदा के लिए क्या होता है और कहता है कि जल्दी आ बृंदा अब इंतजार नहीं हो रहा | शलाका को गुस्से में होती है उसकी आंखें हरी हो जाती है वह अपने पेंडल से एक बुलबुले को निकाल कर उससे कहती है कि जाओ जाकर वृंदा को रोको | वह कमरे से बाहर ना जा पाए , वृंदा के पास एक गिलास रखा होता है जो कि उस बुलबुले के आने से टूट जाता है | बृंदा उसके कांच के टुकड़े उठाने लगती है, तभी उसकी सारी गीली हो जाती है|
वह सोचती है कि मैं बदलू तो कहीं मुझे देर ना हो जाए फिर वह सुख आने लगती है| इधर देव वृंदा का इंतजार कर रहा होता है लेकिन वृंदा से पहले शलाका वहां पहुंच जाती है और फिर शीशी आगे करके बोलती है| जब शलाका तुम्हारे पास आए तो उसे प्यार करना और जब बृंदा तुम्हारे पास आए तो उसे दुत्कार देना | फिर शलाका देव के पास पहुंचती है और पूछती है कि यह सब मेरे लिए है क्या | वह कहता है कि हां यह सब तुम्हारे लिए है, वह उसे गुलाब देकर कहता है कि यह भी तुम्हारे लिए है| गुलाब देते समय वृंदा उसे देख लेती है , वृंदा उसे देख कर परेशान होती है| उसे गुस्सा आता है| वृंदा देव के पास आती है तो शलाका बोल रही होती है कि मुझे तुम चाहिए और तुम्हारा प्यार| वृंदा कहती है जो कि तुम्हारा नहीं है, शलाका कहती है देव ने यह सब मेरे लिए किया है | बृंदा कहती है नहीं देव ने यह सब मेरे लिए किया है, मुझे बुलाया था देव ने यहां पर| देव बताओ इसको , देव कहता है मैंने तुम्हें नहीं बुलाया था बृंदा| वृंदा कहती है तुम्हें बुरा ना लगे इसलिए देव ऐसा बोल रहा है| तुम यहां से जाओ मुझे अपने पति से अकेले में बात करनी है| शलाका कहती है लेकिन, वृंदा बीच में ही बोलती है कि तुम यहां से जाओ और फिर वह उसको जाने के लिए बोल देती है| वृंदा देव से कहती है कि तुम यह कौन सा खेल खेल रहे हो मेरे साथ| शलाका शीशी के आगे करके बोलती है मैं शलाका के लिए फील करने लगा हूं और यही बताने के लिए मैंने तुम्हें यहां बुलाया था क्योंकि मैं कह नहीं पा रहा था, जब तुम मुझे छोड़ कर चली गई तब शलाका मेरी जिंदगी में आई, मुझे तुम्हारा प्यार नहीं चाहिए| मुझे शलाका के साथ जिंदगी चाहिए , वह तुमसे बेहतर है मुझे माफ कर देना, यही सारी बातें देव दोहरा देता है| वृंदा टूट जाती है और धीरे-धीरे वहां से चली जाती है| शलाका फिर बोलती है कि अभी के अभी, शलाका के कमरे में जाओ और उसे गुलाब दो| शलाका सोचती है कि बस दो बार और बचा है, उसके बाद उसकी आत्मा बाहर आ जाएगी और नागमणि मेरे पास |
फिर पति भी मेरा और नागमणि भी मेरी| वृंदा की मां शलाका को अपने आप से बातें करते हो देख लेती है| वह सोचती है कि अपने आप से क्या बातें कर रही थी| फिर वह देव का कोट देखती है तो उसे उठाकर झड़ने लगती है तो उस कोर्ट से वही पत्थर गिर जाता है| वह पत्थर को उठाती है और सोचती है कि यह पत्थर तो मैंने बृंदा को दिया था , देव के लिए| इसके बाबा ने कहा था कि अगर पत्थर का रंग बदल जाए तो मुझे जांच लेना चाहिए| वह पत्थर को जानती है तो उसे पता चलता है कि कोई दूसरा है जो कि उसकी जिंदगी के साथ खेल रहा है | वह समझ जाती है कि शलाका है, वह सोचती है मुझे यह बात बंदा को बतानी होगी कि अगर पूरी तरह से उसकी आत्मा बाहर आ गई, तो देव, देव नहीं रह जाएगा, शैतान बन जाएगा | यह बात मुझे उसे बता नहीं होगी | वह जाती उससे पहले ही शलाका वहां आ जाती है और कहती है कि आपने सब कुछ देख लिया ना और आप अपनी बेटी को बताने जा रही है | आप उस रंग बदलने वाली नागिन से क्या कहने जा रही है, तुम्हें क्या लगा था कि सिर्फ तुम ही मेरा राज जानती हो| तुम इतना डर क्यों रही हो, मैंने तो अभी कुछ किया ही नहीं है| आप यह सोच रहे हैं कि मैं यह सब क्यों कर रही हैं| अपने पति को बचाने के लिए कर रही हूं, देव के शक्ल के नाना जी है ना| शलाका एक शीशी निकालती है और कहती है इस इसमें पता है क्या है, इसमें मैं देव की आत्मा को कैद करूंगी और दो बार उसकी आत्मा को शिशि के अंदर डालूंगी फिर वह मेरे बस में आ जाएगा और फिर नागमणि मेरे पास आ जाएगी और उसकी आत्मा उसके शरीर में मैं वापस डाल दूंगी |
वह कहती है कि जादू से यह सब बहुत ही आसानी से हो जाता है| आंटी,आप इतना परेशान क्यों हो रही ,,मैं यह सब करके दिखाऊंगी आपको और आपकी बेटी को सड़क पर लाकर,वृंदा की मां से कहती है कि मैं आपको एक और राज बताना भूल गई मैं नयनतारा हूं| नयनतारा हूं आंटी जी में और फिर से तेज से हंसने लगती है| पता है ना कौन थी नयनतारा आपको | वृंदा की मां भागने लगती है, शलाका कहती है आप कहां भाग कर जा रही हैं आंटी जी | अगर भाग कर जाएंगे तो मारी जाएंगी| शलाका आप में पेंडल के आगे करके कहती है जाओ उसको पकड़ कर लाओ | मेरे पास पत्थर होने की वजह से उस बुलबुले का कोई असर नहीं होता वह वही झाड़ियों में छिप जाती है| शलाका उसे ढूंढने लगती है | देव घर पहुंचता है, वृंदा को रोते हुए देखता है तो पूछता है कि तुम रो क्यों रही हो | वृंदा कहती है कि और क्या करूं तुम कहना कुछ चाहते हो और करते कुछ हो | मुझसे कुछ कहते हो जो सारा अरेंजमेंट तुमने वहां पर किया| वह तुमने कहा कि मेरे लिए नहीं शलाका के लिए था | देव पूछता है कि से किसकी बात कर रही हो | वृंदा कहती है चुप करो तुम अगर तुम्हें मेरे साथ नहीं रहना था, तो मेरा तमाशा बनाने की क्या जरूरत थी| वैष्णवी उनकी बातें सुन रही होती है | वह सोचती है कि इसका मतलब शलाका के जादू का असर है अभी तक देव पर, इधर वृंदा की मां शलाका से छुपकर भाग रही होती है, शलाका उसके पीछे भागती है| वैष्णवी उसे फोन करती है शलाका उसका फोन काट देती है| देव परेशान हो रहा होता है, वह सोचता है कि मैंने ऐसा क्या किया मुझे समझ नहीं आ रहा| वृंदा कहती है तुम मेरा दिल तोड़ते हो और मुझसे पूछते हो कि ऐसा क्या हो रहा है| उसी समय देव की आंखें लाल होने लगती है वैष्णवी यह सब देखती है, वह सोचती है कि ऐसा नहीं होना चाहिए शलाका देव पर से अपना कंट्रोल हो रही है| वह शलाका को फोन करती है और कहती है कहां हो तुम, शलाका कहती है मैं वृंदा की मां का पीछा कर रही हूं| वैष्णवी कहती है देव की आंखों का रंग लाल हो रहा है, इसका क्या मतलब समझो मैं | शलाका कहती है इसका मतलब यह है कि जादू का असर कम हो रहा है क्योंकि मैं उसके पास नहीं हूं | इधर वृंदा की मां ऑटो करके जाने लगती है तो शलाका कहती है कि अभी मैं वहां नहीं आ सकती क्योंकि मैं स्वरा का पीछा कर रही हूं | स्वरा हमारे बारे में सब कुछ जान चुकी है | शलाका फिर अपने लॉकेट से कहती है जाओ जाकर पीछा करो उसका और फिर वह अपनी सास से कहती है आप किसी भी तरीके से देव और वृंदा को दूर रखो नहीं तो वह नागिन हम सब को मार देगी |
वृंदा इधर कहती है तुम्हारे दिल में क्या है यह मुझे बता दो | देव कहता है मेरे दिल में सिर्फ तुम हो | वृंदा कहती है तुम दुनिया के सामने कुछ और बोलते हो और बंद कमरे में मुझसे यह बोलते हो, मैं किसकी बात पर विश्वास करूं| देव कहता है कि मुझे नहीं पता कि मेरे साथ क्या हो रहा है लेकिन मैं सिर्फ तुम्हारे साथ जीना चाहता हूं और फिर वह एक गुलाब निकालकर वृंदा को देता है और कहता है यह मैं तुम्हारे लिए लेकर आया हूं | वृंदा कहती है मुझे यह सब ठीक नहीं लग रहा शलाका , यह वही कर रही है यह सब, देव कहता है तुम क्या कह रही हो , वह कोई जादूगरनी है क्या| वैष्णवी सोचती है वृंदा ऐसी बातें क्यों कर रही है कहीं उसे हम पर शक तो नहीं| वृंदा कहती है जादू नहीं लेकिन बुरी शक्तियां है तुम जानते हो ना| बुरी शक्तियां होती है, जब अच्छी शक्तियां है तो बुरी शक्तियां भी होगी और यही वजह है कि मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूं| वैष्णवी बहुत घबरा जाती है और कहती है कि ऐसा नहीं हो सकता , ऐसा नहीं हो सकता | देव कहता है तो मुझे बताओ ना क्या बताना चाहती हो, इधर स्वरा सोचती है कि मैं अपनी बेटी की जिंदगी बचा लूंगी| ऑटो वाले से कहती है थोड़ा तेज चलाइए| इधर वृंदा देर से कहती है कि सबसे पहले तुम शलाका के बारे में पता लगाओ , तुम सबसे पहले उसे कहां मिले थे उसके बारे में सारी जानकारी लो | स्वरा वृंदा को फोन करती है लेकिन बंदा देव से बात करने की वजह से फोन नहीं उठा पाती| देव कहता है शलाका से शादी मां ने कराई थी, तुम्हारे जाने के बाद मां को खुश करने के लिए मैंने शलाका से शादी करने के लिए हां कर दिया था| वृंदा कुछ सोचने लग जाती है| वृंदा देव से कहती है कि मैं शक नहीं कर रही हूं, लेकिन मैं तुमसे पूछना चाहती हूं कि कभी भी तुम्हें ऐसा नहीं लगा कि इन सब में तुम्हारी मां का हाथ है | देव कहता है तुम ऐसा क्यों सोच रही हो , मैं अपनी मां से बहुत प्यार करता हूं और तुम्हारे प्यार पर बहुत ही ज्यादा भरोसा कर रहा हूं फिर भी तुम मेरी मां के बारे में ऐसा क्यों सोच रही हो|
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